Tuesday, December 24, 2024
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Hamare Bade Sardar Sharad Pawar: Baramati Residents Tell Far-reaching Thinking Of Their Leader Leaving The Post Of NCP President – हमारे बड़े सरदार शरद पवार : बारामती अपने नेता के NCP अध्यक्ष पद छोड़ने से दुखी पर उनकी दूरदर्शिता पर भरोसा


महाराष्ट्र की पुणे जिले की बारामती तहसील मुंबई से 250 किलोमीटर दूर है. इस इलाके की पहचान शरद पवार के नाम से जुड़ी है. शरद पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान किया तो स्वाभाविक रूप से बारामती के लोगों की प्रतिक्रियाएं साामने आईं. शरद पवार के बाद एनसीपी अध्यक्ष पद के लिए पसंद को लेकर पूछने पर सुप्रिया सुले या अजित पवार में से किसी एक पर अपना मत व्यक्त नहीं करते बल्कि दोनों में से किसी को भी अध्यक्ष बनाए जाने पर सहमति व्यक्त करते हैं. उनका शरद पवार के प्रति पूरा भरोसा है और वे मानते हैं कि वे कोई भी फैसला गलत नहीं ले सकते.        

बारामती के शिक्षक किरण भोंसले ने NDTV से कहा, ”पहले लगा कि इलेक्शन नजदीक आ रहे हैं और ऐसे में पवार साहब ने ऐसा फैसला कैसे ले लिया? लेकिन फिर अजित दादा (अजित पवार) बोले कि बदलाव करना चाहिए. पार्टी ने यदि इतना बड़ी डिसीजन लिया है तो सही लिया होगा. उन्होंने कहा कि एनसीपी के लिए यह बहुत बड़ा झटका है लेकिन पवार साहब ऐसे ही नहीं करेंगे. पवार साहब इलेक्शन में जैसे भाषण देते हैं, वैसा किसी को नहीं आता. वे एक ही भाषण में वोटों को बदल देते हैं. ऐसा और कोई नहीं कर सकता. उनके बाद नेतृत्व सुप्रिया ताई सुले (सुप्रिया सुले) या अजित दादा कर सकते हैं. अजित दादा को बहुत अनुभव है.” 

    

शरद पवार के एनसीपी अध्यक्ष न रहने पर पार्टी को होने वाले नुकसान को लेकर पूछे गए सवाल पर किरण भोंसले ने कहा, ”पवार साहब कैम्पेन नहीं करेंगे. तब सुप्रिया सुले और अजित पवार ही संभालेंगे. ऐसी छोटी बात पर एनसीपी नहीं टूट सकती.” उन्होंने सुप्रिया सुले और अजित पवार में से अजित पवार को अपनी पहली पसंद बताया. 

”एनसीपी को नुकसान नहीं होगा”

बारामती के एक निवासी ने कहा कि, ”शरद पवार के अध्यक्ष न रहने से एनसीपी को नुकसान नहीं होगा. शरद पवार का बारमती समेत पूरे पुणे जिले में वर्चस्व है. अजित दादा तो यहां देखेंगे ही, जयंत पाटिल का नेतृत्व भी अच्छा है. वे संयमी नेता हैं. जयंत पाटिल अध्यक्ष रहेंगे तो थोड़ा बदलाव आ सकता है. वे युवाओं में भी काफी लोकप्रिय हैं. अजित दादा एक दिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री जरूर बनेंगे. अजित पवार मुख्यमंत्री पद के सही दावेदार हैं लेकिन संगठित करने की कला जयंत पाटिल के पास है. अजित पवार के बीजेपी के प्रति झुकाव को लेकर उन्होंने कहा, जो सत्ता में है उनके साथ भी संबंध अच्छे रखना चाहिए.”    

बारामती के एक बुजुर्ग ने कहा, ”पवार साहब को माइनस करो तो सब जीरो है. मैं 1967 में कॉलेज में था. उनकी बहन भी हमारे साथ कॉलेज में पढ़ती थीं. तब पूरे युवक पवार साहब के पीछे थे.” उन्होंने शरद पवार के बारे में कहा कि, ”वे हमारे स्वाभिमान हैं, हमारी अस्मिता हैं. उनका नाम लेने से हमारा सीना चौड़ा हो जाता है. हमें उन पर भरोसा है, उन पर अभिमान है.”    

उन्होंने कहा कि, ”जो साहब (शरद पवार) करते हैं, बहुत सोचकर करते हैं. साहब ने जो किया उससे हमें तो दुख हुआ. जब तक विधानसभा, लोकसभा चुनाव हैं, तब तक तो पद नहीं छोड़ना था. खेती करने वालों के प्रति आस्था रखने वाला यही आदमी है. सब लोग बातें करते हैं लेकिन किसानों के लिए जो कुछ करना है वह यही करते हैं. वे आगे के 30-40 साल का सोचने वाले हैं.”   

”हमारा उन पर भरोसा है, वे हम पर भरोसा करते हैं” 

शरद पवार के बाद पार्टी अध्यक्ष पद के लिए उपयुक्त नेता का नाम पूछे पर उन्होंने कहा कि, ”यह फैसला तो साहब का होगा, हम कुछ नहीं कह सकते. सुप्रिया सुले या अजित पवार में से कोई भी चलेगा, दोनों साहब के ही हैं.” उन्होंने कहा कि, ”अजित पवार जो बोलते हैं, वह काम करते हैं. उनकी छवि भी अच्छी है. सभी लोगों को साथ लेकर काम करने वाले हैं. पवार परिवार और हम बारामती वाले सब एक हैं. हमारा उन पर भरोसा है, वे हम पर भरोसा करते हैं.” 

एनसीपी के बीजेपी के साथ जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि, ”पवार साहब का जो डिसीजन होगा, वह हमारा डिसीजन होगा. हमारे समर्थन का कोई सवाल नहीं है, यह पवार साहब का निर्णय हमारा निर्णय होगा. हम आंख बंद करके उनके साथ रहेंगे. उन्होंने कोआपरेटिव में अच्छा काम किया, इंडस्ट्री बनाईं, खेती के लिए अच्छा काम किया. महाराष्ट्र में सबसे अच्छी इंडस्ट्री बारामती की होंगी.”  

     

एक युवक ने कहा, ”अध्यक्ष साहब (शरद पवार) को ही रहना चाहिए. पूरे देश के लिए साहब चाहिए. उन्होंने 55 साल काम किया है. देश में इतना बड़ी आदमी कोई नहीं है. जब वे कृषि मंत्री थे तो पूरे देश के किसानों का कर्ज माफ कर दिया था. भारत के लिए पवार साहब चाहिए. उन्होंने रिजाइन करने का बोलने भर से महाराष्ट्र में बवाल मच गया है. उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ा है तो वे पद पर वापस भी आ सकते हैं. हम बारामती वाले सभी पवार फैमिली के साथ हैं.” 

”शरद पवार को 2024 तक अध्यक्ष रहना चाहिए”

एक नागरिक ने कहा कि, ”हम लोगों को शॉक लगा है. राष्ट्रवादी के लिए अच्छा टाइम है. यदि साहब अध्यक्ष पद संभाले रहते हैं तो महाराष्ट्र में 100 से ज्यादा विधायक और सांसद चुनकर ला सकते हैं. उन्हें 2024 तक रहना चाहिए. उनकी उम्र ज्यादा हो गई है और वे चाहते हैं कि कोई उनके सामने अच्छा अध्यक्ष बने. उनका मार्गदर्शन रहेगा. नेता तैयार करने की उनकी सोच अच्छी है.” 

बारामती के एक व्यक्ति ने कहा कि, ”हमको कोई भी तकलीफ होती है तो उनके घर पर जाते हैं. सीधे दिल्ली फोन करके हमारा काम कराया जाता है. साहब हैं तब तक सब कुछ है, हम को दिल्ली जाने की जरूरत नहीं है.”     

एक वयोवृद्ध नागरिक ने कहा कि, ”शरद पवार को पद नहीं छोड़ना चाहिए. हम सब लोग साहब के पीछे हैं. उनका निर्णय मानना पड़ेगा. वे हमारे बड़े सरदार हैं. उन्होंने नारा लगाया एक ही वादा, अजित दादा.”    

एक युवा ने कहा, ”शरद पवार बहुत बड़ी हस्ती हैं. साहब 10-20 साल आगे का फैसला लेते हैं. आगे का विचार करते निर्णय लेते हैं. बीस साल पीछे देखें तो एनसीपी के गठन के बाद पिछड़ी जातियों, गरीब परिवारों के नेताओं को शरद पवार ही आगे लाए. यदि वे किसी पार्टी के साथ संबंध बनाने की बात कहते हैं तो इसके पीछे उनकी आगे के लिए कोई न कोई सोच होती है. दिल्ली में महाराष्ट्र की अस्मिता शरद पवार हैं. वे जो निर्णय लेगें वह पूरा महाराष्ट्र स्वीकार करेगा.” 

”शरद पवार न किसी के गुलाम थे, न रहेंगे”

बारामती निवासी डॉ संतोष जोशी ने कहा, ”शरद पवार हमारे लिए देवता हैं. उन्होंने महाराष्ट्र का नाम दिल्ली में बड़ा किया. यहां पर शरद पवार जैसा कोई भी आदमी नहीं है. उतार चढ़ाव चलते रहते हैं, सत्ता आएगी, जाएगी. शरद पवार न किसी के गुलाम थे, न रहेंगे.”     

एक बुजुर्ग ने कहा कि, ”शरद पवार का पूरी दुनिया में नाम है. वे ब्रिलिएंट हैं, मोदी साहब (पीएम नरेंद्र मोदी) उनसे सलाह लेते हैं. उनकी उम्र ज्यादा हो गई लेकिन वे दिमाग से जवान हैं. रात में दो बजे लौटेंगे तो सुबह पांच बजे रेडी रहते हैं. वैसे ही अजित दादा बहुत अच्छे नेता हैं. अजित पवार (पार्टी) बहुत अच्छे तरीके से संभालेंगे. सुप्रिया ताई भी संभालेंगी. दोनों को शरद पवार ने बहुत अच्छी तरह से संस्कारित किया है.”

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