इंदौर हाई कोर्ट में एक प्रेग्नेंट महिला ने अपने बच्चों के गर्भपात को लेकर एक याचिका इंदौर हाई कोर्ट में लगाई, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई कर गर्भपात की अनुमति दी है , लेकिन इसको लेकर पहले महिला की काफी काउंसलिंग की गई , लेकिन जब पीड़िता ने तमाम तरह के तर्क प्रस्तुत किया उसी के बाद कोर्ट ने उसे गर्भपात की अनुमति दी है।
इंदौर में एक महिला ने एक युवक से लव मैरिज की और लव मैरिज के बाद दोनों में इतना विवाद हुआ की पत्नी अपने पति से इतनी नफरत करने लगी कि गर्भ में पल रहे बच्चे के अबॉर्शन की अनुमति मांगने को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका लगा दी, फिलहाल इंदौर हाई कोर्ट के समक्ष सुनवाई हुई, और उसे पर जब कोर्ट ने सुनवाई की तो सबसे पहले कोर्ट ने महिला एडवोकेट को बतौर काउंसलर नियुक्त किया और पति-पत्नी की काउंसलिंग की,
काउंसलिंग के दौरान जज ने भी पति-पत्नी को समझाइए देने की कोशिश की लेकिन जब पत्नी ने अपने पति की विभिन्न तरह की बर्बरता और अलग-अलग तरह प्रताड़ना देने की बात कही , साथ ही पत्नी ने कहा कि वह इस तरह के पति से जन्मा बच्चा नहीं चाहेगी अगर वह इस दुनिया में आया तो उसका भविष्य खराब हो जाएगा और इसके चलते मुझे अबॉर्शन की अनुमति दी जाए , इसके बाद भी जब पीड़िता नहीं समझी तो कोर्ट ने उसको अबॉर्शन की अनुमति दे दी साथ ही विशेषज्ञ डॉक्टर के साथ महिला का अबॉर्शन इंदौर के एमवाय हॉस्पिटल में करवाया दिया गया,
बता दे इंदौर हाई कोर्ट में यह पहला मामला आया जब कोर्ट ने पहले पीड़िता को समझाइस दी उसके बाद विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में अबॉर्शन की अनुमति दी।
बाइट — ऋषि आनंद चौकसे , एडवोकेट, हाई कोर्ट , इंदौर